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Read this article in Hindi to learn about how to study a local map.
स्थल रूपों की पहचान:
मानचित्र वास्तव में पृथ्वी के धरातल का प्रति चित्रण है । धरातल कहीं भी एक जैसा नहीं होता । कहीं ऊंचा तो कहीं नीचा कहीं समतल है तो कहीं ऊबड़-खाबड़ । इसे ही धरातल का उच्चावच कहा जाता है ।
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मानचित्र चूंकि समतल पटल पर बनाया जाता है इसलिए ऊंचाई-निचाई को दिखाना कठिन होता है । इस कठिनाई को दूर करने के लिए मानचित्र में समोच्च रेखाओं और विभिन्न रंगों का प्रयोग किया जाता है । धरातल पर की अन्य बातों को मान्य रूढचिह्नों से दर्शाया जाता है । आइए धरातल रूपों के चित्रण के लिए प्रयुक्त विभिन्न रंगों व समोच्च रेखाओं के बारे में जानें ।
रंग विधि:
धरातल की ऊंचाई-निचाई नापने के लिए समुद्र के जल की सतह को आधार माना जाता है । यदि मानचित्र में किसी स्थान की ऊंचाई 200 मीटर प्रदर्शित की गई है तो उसका तात्पर्य है कि यह स्थान समुद्र की सतह से 200 मीटर ऊंचा है । ऊंचाई के आधार पर ही पृथ्वी के धरातल के विभिन्न नाम दिए गए हैं जैसे: मैदान, पठार, पहाड़ आदि ।
इन बड़ी स्थल आकृतियों को पहली नजर में ही समझ लेने के लिए मानचित्र में विभिन्न रंगों का प्रयोग किया जाता है । जैसे: हरा रंग मैदान के लिए, पीला रंग अथवा भूरा रंग पठारों के लिए, कत्थई रंग पहाड़ों या ऊंची चोटियों के लिए ।
मानचित्र में आप देखेंगे कि ये रंग भी कहीं हल्के हैं तो कहीं गहरे । इससे यह समझना चाहिए कि हल्के रंग कम ऊंचाई को बताते हैं तो गहरे रंग अधिक ऊंचाई को । हल्का हरा रंग निचले मैदानी भाग को बताएगा, वहीं गहरा हरा रंग अधिक ऊँचे मैदानी भाग को ।
ऊँचे उठते स्थल भागों का रंग पीला होता जाता है, जबकि ऊँचे पठारी भागों का रंग भूरा । यही बात पर्वतों के रंगों में भी दिखाई देती है । कम ऊँचे पर्वत गहरे भूरे या हल्के कत्थई रंग लिए होते हैं, वही ऊँचे पर्वत गहरे कत्थई रंग से बनाए जाते हैं ।
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यहाँ एक बात और ध्यान देने वाली यह है कि पहाड़ों की ऊंची चोटियों की ऊंचाई दिखाने के लिए वहाँ ऊंचाई संख्या में लिखी होती है । जैसे: एवरेस्ट शिखर के स्थान पर 8848 लिखा होगा, जिसका तात्पर्य है यह स्थान समुद्र की सतह से 8848 मीटर ऊंचा है ।
जैसे पृथ्वी के धरातल की ऊंचाई उनके रंगों और उनकी हल्की और गहरी होती हुई आभाओं (शेड्स) से चित्रित होती हैं, वैसे ही समुद्र की गहराई भी विभिन्न शेड्स से दर्शायी जाती है । मानचित्र में समुद्र नीले रंग से प्रदर्शित किया जाता है ।
स्थल भाग के निकट का समुद्र कम गहरा होने के कारण उसे हल्के नीले रंग से दिखाया गया है । समुद्र की गहराई जैसे-जैसे बढ़ती जाती है रंग का नीलापन वैसे-वैसे गहरा होता जाता है । समुद्र के गहरे खड्ड या खाईयाँ बहुत घने नीले रंग से चित्रित की जाती हैं । जैसे पर्वत की चोटी की ऊंचाई लिख दी जाती है वैसे ही सागरी खड्ड की गहराई भी अंकित कर दी जाती है ।
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मानचित्र में रंगों की विभिन्न आभाओं को देखकर हम एक नजर में ही स्थल भाग के उच्चावच को जान जाते हैं । धरातल के समतल निचले भाग मैदान, ऊँचे उठे किन्तु ऊपर से लगभग समतल भाग पठार तथा अपने आसपास के भूभाग से बहुत ऊँचे उठे शिखर वाले भाग पहाड़ कहे जाते हैं ।
समोच्च रेखा विधि:
रंगों के माध्यम से हम धरातल के विभिन्न रुपों का एक मोटा अनुमान लगा सकते हैं, किन्तु उसकी बारीकियों को नहीं जान सकते । मान लीजिए रंगों के आधार पर हमने एक स्थल आकृति का अनुमान लगा लिया कि यह पठार है, किन्तु हम यह नहीं जान पाएंगे कि इसकी वास्तविक ऊंचाई कितनी है ।
इसके चारों ओर के ढाल एक समान है या नहीं । इसमें कहीं खड्ड है या नहीं । इसी तरह स्थल के अन्य उच्चावच की बारीकियों को भी रंगों के माध्यम से आसानी से नहीं जाना जा सकता । धरातल की बनावट और ढाल संबंधी छोटी-छोटी बातों को भी पूरी शुद्धता से मानचित्र पर प्रदर्शित करने वाले माध्यम या विधि को समोच्च रेखाएँ कहा जाता है ।
जैसा कि इनके नाम से ही प्रकट होता है- ये वे रेखाएँ हैं, जो समुद्रतट से एक समान ऊंचाई वाले स्थानों को मिलाती हुई मानचित्र में खींची जाती हैं । प्रत्येक समोच्च रेखा पर उसकी ऊंचाई अंकित होती है । अंकित समोच्च रेखाओं के बीच की दूरी या निकटता उस स्थल भाग के ढाल को प्रकट करती है ।
समोच्च रेखाएँ यदि नजदीक-नजदीक है तो इसका तात्पर्य है भूभाग का ढाल अधिक है । समोच्च रेखा के बीच अधिक अन्तर होना ढाल की मन्दता को बताता है । इस तरह समोच्च रेखाओं द्वारा धरातल के छोटे से छोटे रूप को मानचित्र पर अंकित किया जा सकता है या मानचित्र पर अंकित समोच्च रेखाओं द्वारा जाना और समझा जा सकता है ।
समोच्च रेखाओं के माध्यम से कुछ स्थल आकृतियों को जानें:
दिए गए चित्र में धरातल की विभिन्न आकृतियों को समोच्च शंक्वाकार पहाड़ी में पहाड़ी के गोल होने के साथ ही चारों ओर का ढाल लगभग एक समान होता है ।
इसलिए समोच्च रेखाएँ भी लगभग समान दूरी और समान गोलाई की हैं । यदि मानचित्र में कहीं ऐसी समोच्च रेखाएँ दिखाई दे तो आप तुरन्त समझ जाएंगे कि यह शँक्वाकार पहाड़ी है । इसी तरह चित्र में पठार को निरूपित करने वाली समोच्च रेखीय आकृति में किनारों के तेज ढाल को बताने वाली समोच्च रेखाएँ तो पास-पास हैं किन्तु आकृति में बीच का लम्बा चौड़ा भाग खाली है जो उसके समतल होने को प्रकट करता है ।
चित्र में नदी घाटी को समोच्च रेखाओं द्वारा दर्शाया गया है । आपने देखा होगा कि नदी की घाटी V आकार की होती है । यदि घाटी को दर्शाने वाली समोच्च रेखाओं को देखें तो पाएंगे कि वे भी लगभग V आकार बना रही हैं । इसी तरह लम्बी वृत्ताकार समोच्च रेखाएँ लम्बी पहाड़ी या कगार को प्रकट कर रही है ।
इसी तरह धरातल की अन्य आकृतियों की समोच्च रेखाओं से परिचित होकर आप क्षेत्र विशेष के धरातल को पूरी तरह समझ सकते है । अब हम एक उदाहरण के माध्यम से स्थानीय मानचित्र को समझने का प्रयत्न करते हैं ।
स्थानीय मानचित्र में निम्न रुढ़चिह्नों का प्रयोग हुआ है:
i. समोच्च रेखाएँ
ii. तालाब
iii. सड़क मार्ग
iv. नदी
v. वन क्षेत्र
vi. आवासीय क्षेत्र
vii. खेत