ADVERTISEMENTS:
Read this article to learn about space and how India has gained fame in space research work in Hindi language.
राकेश शर्मा, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स आदि अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष यान द्वारा अंतरिक्ष की यात्रा की है । हमें इन अतंरिक्ष यात्रियों की जानकारी है । इस प्रकरण में हम मानव दवारा विकसित किए गए अंतरिक्ष विज्ञान और उसके उपयोगों की जानकारी प्राप्त करेंगे ।
अंतरिक्ष प्रक्षेपण:
ADVERTISEMENTS:
पृथ्वी से किसी वस्तु को अंतरिक्ष में ले याने के लिए उसे पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण कक्षा से बाहर ले जाना पडता है । किसी वस्तु को गुरुत्वाकर्षण कक्षा से बाहर ले याने के लिए जिस तकनीकी पद्धति का उपयोग किया जाता है; उसे अंतरिक्ष प्रक्षेपण कहते हैं ।
इस प्रक्रिया के घटित होते समय उस वस्तु द्वारा अंतरिक्ष में साध्य किया जानेवाला निर्धारित लक्ष्य, इसके लिए अवश्यक ऊर्जा और उस वस्तु को वांछित लक्ष्य तक जाने के लिए आवश्यक मार्गदर्शी व्यवस्था आदि बातों की बहुत ही सावधानी बरतनी पड़ती है ।
अंतरिक्ष प्रक्षेपण के लिए राकेट का उपयोग किया जाता है । राकेट की सहायता में कृत्रिम उपग्रहों और अंतरिक्ष यानों को पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण कक्षा से बाहर अंतरिक्ष में भेजा जाता है । आकृति १.१ में राकेट और अंतरिक्ष यान को दर्शाया गया है ।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की उपयोगिता:
मानव में अंतरिक्ष प्रक्षेपण द्वारा अनेक बातों को साध्य किया है । इस प्रौद्योगिकी द्वारा नए क्रांतिकारी युग की नींव रखी गई है । आगे दिए गए उदाहरणों से इसकी उपयोगिता स्पष्ट होती है । इस प्रौद्योगिकी की फलस्वरूप ही मानव पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण कक्षा के बाहर जा सका है । मानव ने अंतरिक्ष में प्रवेश किया है ।
ADVERTISEMENTS:
अंतरिक्ष यान एवं अंतरिक्ष में स्थित प्रयोगशालाओं की सहायता से सौरमंडल के अन्य आकाशीय पिंडों का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष पद्धति से अध्ययन करना संभव हुआ है । परिणामस्वरूप हमें वायुमंडल, सौरमंडल, अंतरिक्ष और ब्रहमाण्ड की व्याप्ति आदि के बारे में जानकारी प्राप्त हो रही है । हमे अंतरिक्ष प्रक्षेपण द्वारा अंतरिक्ष में अनेक प्रकार के कृत्रिम उपग्रह भेजने हैं ।
हम उन उपग्रहों का विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग करते है , जैसे:
(i) किसी स्थान पर चल रहे खेल का तत्क्षण ही संपूर्ण संसार में दूरदर्शन पर देख सकते हैं ।
ADVERTISEMENTS:
(ii) प्राकृतिक संसाधनों की टोह ली जा सकती है । हमें उस प्रदेश के वनों, खनिजों आदि संसाधनों की जानकारी प्राप्त होती है ।
(iii) इन उपग्रहों का प्रादेशिक विकास के नियोजन तथा सैनिक अभियानों के लिए उपयोग हाता है ।
(iv) दूरभाष और भ्रमणध्वनि दवारा हजारों किमी दूरस्थ व्यक्ति से संपर्क किया जा सकता है ।
(v) वायुमंडल में होने वाले परिवर्तनों, आंधीयों, विभिन्न फसलों, जलाशयों और प्रदूषण जैसी बातों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।
सुदूर संवेदन:
किसी प्रदेश के साथ प्रत्यक्ष संपर्क न करते हुए भी उस प्रदेश की जानकारी प्राप्त करने को सुदूर संवेदन कहते है । अंतरिक्ष में भेज गए कृत्रिम उपग्रहों द्वारा पृथ्वी की सतह के चित्र प्राप्त किए जा सकते हैं । इन तकनीक में प्रकाश के दृश्य वर्णक्रम से अवरक्त वर्णक्रम तक उपयोग किया जाता है । फलस्वरूप हम किसी प्रदेश का विविध दृष्टिकोण से अध्ययन करके उसके विकास का नियोजन कर सकते हैं ।
संचार माध्यम:
वर्तमान समय में दूरदर्शन के चैनलों, आकाशवाणी, दूरभाष, भ्रमणध्वनि, फैक्स, इंटरनेट जैसे संचार माध्यमों की अत्याधुनिक सुविधाओं के परिणामस्वरूप यह विशाल संसार एक-दूसरे के अधिकाधिक समीप आता जा रहा है । इसका श्रेय उन कृत्रिम उपग्रहों को है, जिनका संचार माध्यमों के लिए उपयोग किया जाता है ।
वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली:
पृथ्वी के ऊपर किसी स्थान का अचूक वैश्विक सामन निर्धारित करने के लिए, जिस तकनीकी प्रणाली का उपयोग किया जाता है; उसे वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली (GPS- Global Positioning System) कहते है ।
इसके लिए एक विशिष्ट उपकरण का उपयोग किया जाता है । इस उपकरण द्वारा कृत्रिम उपग्रहों से संपर्क स्थापित करके अक्षांशा ओर देशांतर रेखाओं के आधार पर उस स्थान का निर्धारण किया जाता है । इसी तरह समुद्री सतह से उस स्थान की ऊंचाई भी निर्धारित की जाती है । फलस्वरूप मानचित्र तैयार करना और उन्हें अदयतन बनाए रखना सरल हुआ है ।
भारत का अंतरिक्ष अनुसंघान कार्य:
ADVERTISEMENTS:
भारत का समानेश ऊना चुनिंदा देशों में होता है; जिन्होंने अंतरिक्ष प्रक्षेपण और कृत्रिम उपग्रहों के बारे में कौशल प्राप्त किया है । भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान का प्रारंभ डॉ होमी भाभा और डॉ विक्रम साराभाई के मार्गदर्शन में हुआ ।
प्रथम राकेट ई.स. १९६९ घुंबा से अंतरिक्ष में छोड़ा गया । ई.स. १९७९ में भारत के पूर्वी तट पर श्रीहरिकोटा में अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र की स्थापना की गई । यहां से भारत ने अब तक अंतरिक्ष प्रक्षेपरों के अनेक कार्यक्रम संपन्न किए हैं ।
२८ अप्रैल २००८ की भारत ने PSLV-C9 इस राकेट से एक ही समय में १० कृत्रिम उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजना का कीर्तिमान स्थापित किया है । चंद्रमा का अध्ययन करने के लिए भारत ने १४ नवेंबर २००८ को चंद्रयान भेजकर सफलता अर्जित की है ।
अंतरिक्ष प्रदूषण:
मानव ने अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रौद्योगिकी की सहायता से अब तक अनेक प्रकार अंतरिक्ष यानों, कृत्रिम उपग्रहों, प्रयोगशालाओं को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है । इनमें से बहुत-सी प्रयोगशालाएं तथा कृत्रिम उपग्रहों अंतरिक्ष में पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं ।
उन सभी का अपना निश्चित कार्यकाल है तथा कार्यकाल समाप्त होने पर उनका समावेश अंतरिक्षीय कूड़े में हो जाता है । अंतरिक्ष में भेजे जानेवाले इन यंत्रों में कुछ हानिकारक, विषैले रसायन और गैसें हो सकती हैं । ठोस अवस्था का यह कूड़ा-कचरा अंतरिक्षीय प्रदूषण का निर्माण करता है । इस कूड़े की मात्रा दिन-प्रति-दिन बढ़ती जा रही है ।
यदि इस अंतरिक्षीय कूड़े के कुछ पदार्थ गुरुत्वाकर्षण कक्षा के समीप आ जाते हैं तो इन पदार्थों का पृथ्वी के पृष्ठभाग से आकार टकराने का खतरा बना रहता है । उनमें स्थित असुरक्षित रसायन, विस्फोटक पदार्थ आदि के कारण सजीवों के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है । जैसे ई.स. १९७९ में स्काइलेब नामक अंतरिक्षीय प्रयोगशाला पृथ्वी पर गिर गई थी । इसी तरह फरवरी २००९ में अंतरिक्ष में दो उपग्रह एक-दूसरे से टकरा गए थे ।