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Read this article in Hindi to learn about the top sixteen organisations that provides study of geographical research. The organisations are:- 1. राष्ट्रीय सुदूर संवेदन अन्वेषण एजेन्सी (National Remote Sensing Agency) 2. अंतरिक्ष क्रियान्वन केन्द्र (Space Application Centre) and a Few Others.
हमारे देश में भौगोलिक संस्थाओं के साथ-साथ ऐसी अनेक वैज्ञानिक शोध एवं शिक्षण संस्थाएँ है, जो भौगोलिक अन्वेषण एवं शोध में उपयोगी सिद्ध हो रही है, बल्कि इन संस्थाओं को संक्षिप्त रूप से इस प्रकार रखा जा सकता है-
1. राष्ट्रीय सुदूर संवेदन अन्वेषण एजेन्सी (National Remote Sensing Agency):
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इसका मुख्यालय हैदराबाद में है । यह संस्था सुदूर संवेदन उपग्रहों से प्राप्त मानचित्रों एवं प्रतिबिम्बों (Imageries) को भौगोलिक अध्ययन हेतु उपलब्ध करा रही है । इस संस्था द्वारा जनपदीय भूमि उपयोग सर्वेक्षण, जनपद मानचित्रावलियां, देश में बेकार पड़ी भूमि (Waste Land) का सर्वेक्षण एवं उसकी उपयोगिता, समुद्र तटीय क्षेत्रों का सर्वेक्षण, उपग्रहों से प्राप्त मौसम सम्बन्धी कई व प्रतिबिम्ब, प्राकृतिक आपदाओं से सम्बन्धित सभी प्रकार की सूचनाएँ एवं मानचित्र प्राकृतिक, संसाधनों की उपस्थिति एवं वितरण के बारे में जानकारियाँ प्रदान की जा रही हैं ।
2. अंतरिक्ष क्रियान्वन केन्द्र (Space Application Centre):
देश के छ: प्रमुख महानगरों में स्थित यह केन्द्र उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों व सूचनाओं का विश्लेषण करते है । उदाहरणस्वरूप यह देश के विभिन्न भागों में कृषि फसलों की उत्पादकता एवं वितरण, प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली हानि एवं प्रभावित क्षेत्र के बारे में चित्र सहित जानकारी प्राप्त कराते हैं ।
3. प्रादेशिक सुदूर संवेदन सेवा केन्द्र (Regional Remote Sensing Service Centres):
यह केन्द्र भूगोलविदों के लिए कार्यशालाओं (Workshops) आयोजन करते रहते हैं, जिनके द्वारा वायु फोटो मानचित्रों व सुदूर संवेदन तकनीक का भौगोलिक अध्ययनों में उपयोग एवं महत्व के बारे में दिशा निर्देश दिए जाते हैं । यह केन्द्र देश के विभिन्न महाविद्यालयों के भूगोल विभागों में भी इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन करते रहते है ।
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4. भारतीय सुदूर सर्वेक्षण संस्थान गिराता (Indian Institute of Remote Sensing):
देहरादून में स्थित यह संस्थान मानव अधिवासों, भौमकीय एवं भूगर्भीय दशा, भूमिगत जल, मिट्टी, भूमि उपयोग, आदि विषयों के अध्ययन में कार्यरत है, तथा विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के साथ-साथ भूगोलविदों के लिए डिप्लोमा व प्रमाण-पत्र कोर्स का आयोजन करता है, तथा उन्हें इस तकनीक के उपयोग करने का प्रशिक्षण देता है ।
यह संस्थान त्रैमासिक स्तर पर फोटो निर्वाचक के नाम से एक शोध पत्रिका का नियमित रूप से प्रकाशन करता है । यह पत्रिका ‘Journal of The Indian Society of Remote Sensing’ की है, जो भूगोलवेत्ताओं के लिए अत्यन्त उपयोगी पत्रिका है ।
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5. राष्ट्रीय मानचित्रावली संस्थान, कोलकाता (National Atlas Thematic Mapping Organization):
कोलकाता में यह संस्था भूगोलवेत्ताओं के योगदान से जुड़ी हुई है, जहाँ से भारत के भौगोलिक मानचित्रों का प्रकाशन किया जाता है । इस संस्था ने अनेक उपयोगी मानचित्रों का प्रकाशन किया हैं, जैसे National School Atlas, Student’s Reference Atlas । इनमें मानचित्रों के साथ-साथ उनका विश्लेषण व वर्णन भी दिया गया है ।
6. भारतीय-सर्वेक्षण-विभाग, देहरादून (Survey of India):
यह विभाग स्थलाकृत्तिक मानचित्रों (Topographical Maps) का प्रकाशन चार प्रकार के मापकों 1: 25,000, 1: 50,000, 1: 250,000, 1: 1000,000 पर करता है, जो भौगोलिक शोधों में आधारभूत मानचित्र बनाने में व विस्तृत भौगोलिक वर्णन लिखने में उपयोगी होते हैं । यहाँ पर Digital Cartographic Mapping (DCM) की स्थापना ने मानचित्र विश्लेषण को नया आयाम दिया है ।
7. नगरीय मामलों से सम्बन्धित भारतीय संस्थान (National Institute of Urban Affairs):
नई दिल्ली स्थित यह संस्थान महानगरों के विकास, विस्तार के बारे में योजनाएं तैयार करता है । इस संस्थान में भूगोलविदों का योगदान उल्लेखनीय है ।
8. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Office):
पुणे में स्थित यह विभाग दैनिक मौसम मानचित्र प्रकाशित करता है । यह मानचित्र वायुमण्डलीय दशाओं के नियमित अध्ययन में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होते हैं । यह विभाग मौसम सम्बन्धी मासिक व वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन भी करता है । इस विभाग के कार्यालय देश के प्रमुख महानगरों में भी है ।
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9. नगर एवं देहात नियोजन संस्था (Town and Country Planning Organisation):
नई दिल्ली स्थित यह संस्था प्रमुख महानगरों के मास्टर प्लान तैयार करती है । गंदी बस्तियों के सुधार की योजनाएँ बनाती है । इसके साथ देश के प्रमुख नगरों में स्थित विकास प्राधिकरण (Development Authority) नगरों के सुधार की योजनाएँ व मास्टर प्लान तैयार करते है, जो भौगोलिक शोध के लिए उपयोगी हैं ।
10. केन्द्रीय शुष्क प्रदेश शोध संस्थान, जोधपुर (Central Arid Zone Research Institute):
यह संस्थान थार मरूस्थल के विस्तार, जलवायु परिवर्तन, मरूस्थलीय प्रदेश में बाढ़, जल आपूर्ति, सूखा प्रभावित क्षेत्र, जलप्रवाह, आदि का विस्तृत सर्वेक्षण का अध्ययन करता है ।
11. बिड़ला सुदूर संवेदन संस्थान, जयपुर (Birla Remote Sensing Organisation, Jaipur):
इस संस्थान में भूगोलविदों द्वारा उपग्रहों से राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के प्राप्त मानचित्रों व प्रतिबिम्बों का विश्लेषण व अध्ययन किया जाता है । मरूस्थल के विस्तार, वन क्षेत्रों की स्थिति, संगमरमर खदानों की स्थिति आदि विषयों पर इस संस्थान ने अनेक अध्ययन किए है ।
12. भारतीय जनगणना विभाग (Census Department of India):
नई दिल्ली स्थित रजिस्ट्रार जनरल का कार्यालय भारतीय जनगणना से सम्बन्धित विभिन्न जनगणना पुस्तकों व मानचित्रों का प्रकाशन करता है । यह कई भौगोलिक अध्ययन के आधार हैं । वर्तमान में इन पुस्तकों के साथ उपयोगी मानचित्रों का प्रकाशन भी किया जाता है । प्रत्येक राज्य के भी अपने-अपने जनगणना विभाग हैं ।
13. भारतीय सामाजिक विज्ञान शोध परिषद (Indian Council of Social Science Research):
यह परिषद भूगोल को सामाजिक विज्ञान मानकर उसके विकास की दिशा में कार्य करता है । भौगोलिक शोधों पर बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है, व शोध कार्यों में हुई प्रगति का नियमित प्रकाशन करता है । 1972 में इस संस्था के तत्वाधान में भारत में किये गये भौगोलिक अनुसंधानों की एक सर्वेक्षण पुस्तिका का प्रकाशन कराया गया । इसके लगातार सात अँक प्रकाशित हो चुके हैं । यह पुस्तिका भौगोलिक लेखों की समीक्षा प्रकाशित करती है ।
पिछले कुछ वर्षों से इसका प्रकाशन नियमित रूप से नहीं हो पाया है । यह पुस्तिका देश में भौगोलिक प्रगति का प्रतीक है, ठीक उसी तरह, जैसा कि 1965 में कोलकाता से प्रकाशित Fifty Years of Science in India पुस्तिका है, जिसमें 1910 से 1960 तक के पचास वर्षों में भारत में हुई भौगोलिक प्रगति का उल्लेख है । इसमें 1400 शोध पत्रों व 9 पुस्तकों की समालोचना (Review) को छापा गया था ।
14. भारत का तकनीकी-आर्थिक सर्वेक्षण विभाग (Techno-Economic Survey of India):
यह विभाग देश के राज्यों का आर्थिक एवं तकनीकी सर्वेक्षण प्रकाशित करता है । इस पुस्तिका में कृषि, उद्योग, व्यापार, परिवहन व संचार सम्बन्धी आँकडों की मानचित्र सहित जानकारी प्रकाशित की जाती है ।
15. भारतीय सांख्यकीय संस्थान (Indian Statistical Institute):
यह संस्थान आर्थिक विकास की योजनाएँ तैयार करके उनका प्रकाशन कराता है । भारत के आर्थिक प्रदेशों का सीमाँकन करना इस संस्थान का प्रमुख कार्य है ।
16. राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं सामुदायिक विकास संस्थान (National Institute of Rural and Community Development):
यह विभाग ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास की योजनाएँ तैयार करता है । हैदराबाद स्थित संस्थान ने सुधीर बनमाली के निर्देशन में इस प्रकार के कार्य कराये हैं, जो भौगोलिक अध्ययनों के लिए एक मॉडल (Model) के ग्रामीण के रूप में रहे हैं । इलाहाबाद के ग्रामीण विकास संस्थान में भूगोलविद लेखराज सिंह ने ग्रामीण तकनीकी एवं विकास पर कार्य किए है । उनके द्वारा रचित Planning Atlas of U.P. एक उपयोगी मानचित्रावली सिद्ध हुई है ।
उपरोक्त वर्णन भारत में भौगोलिक प्रगति के विवरण की झलक प्रस्तुत करता है । हमारे देश में भूगोल का विकास पिछले बीस वर्षों में और भी तीव्रता से हुआ है । भौगोलिक अध्ययनों में भूगोलवेत्ताओं के साथ-साथ अन्य विषय के विद्वानों की रूचि बढ़ रही है । यह बहु विषयक दृष्टिकोण (Multi-Disciplinary Approach) वाला विषय बन गया है । भूगोल में ऐसे विषयों का समावेश हो गया है, जिनमें अन्य विषय के विद्वानों की दिलचस्पी रहती है ।
पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्धन, अपराध एवं अपराधी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, मृदा प्राकृतिक अपदाएँ, सुदूर संवेदन तकनीक, भौगोलिक सूचना पद्धति, भू-मंडलीय स्थिति प्रणाली, आंगुलिक (Digital) मानचित्रण तकनीक, निर्वाचन भूगोल, राजनीतिक समस्याएँ एवं भूगोल, सामाजिक एवं सांस्कृतिक भूगोल आदि नए-नए विषय आज भूगोल का अंग बन चुके हैं । भूगोल एक गतिशील विषय है । इसकी प्रगति का आज की तिथि में वर्णन आने वाले कल की तिथि में अधूरा प्रतीत होता है ।