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Read this article in Hindi to learn about the top five universities that lead to development of geography in central India. The universities are:- 1. विदर्भ महाविद्यालय, अमरावती (Vidhrav University, Amravati) 2. नागपुर महाविद्यालय, नागपुर (Nagpur University, Nagpur) and a Few Others.
इस क्षेत्र में भूगोल की स्नातकोत्तर व शोध शिक्षा का विकास अपेक्षाकृत बाद में हुआ है । सागर व अमरावती इनमें अधिक विकसित केन्द्र हैं । इनके अलावा नागपुर, उज्जैन, जबलपुर भी प्रमुख केन्द्र हैं ।
1. विदर्भ महाविद्यालय, अमरावती (Vidhrav University, Amravati):
1951 में बी॰के॰ बिदवई के नेतृत्व में स्नातकोत्तर भूगोल का विकास प्रारम्भ हुआ । इसने नागपुर महाविद्यालय के साथ जुड़कर विकास किया । बिदवई ने विदर्भ की जनसंख्या एव कृषि तथा मध्यप्रदेश की जलवायु का विशेष अध्ययन किया । इनके साथ ही बी॰जी॰ तामस्कर ने यहाँ का कार्यभार संभाला तथा प्रादेशिक भूगोल, ऐतिहासिक भूगोल, विपणन भूगोल, राजनीतिक भूगोल से सम्बन्धित शोध कार्यों को विकसित किया । उन्होंने भौगोलिक पत्रिकाओं में अपने लेखों का प्रकाशन कराया ।
2. नागपुर महाविद्यालय, नागपुर (Nagpur University, Nagpur):
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यहाँ पर पहला स्नातकोत्तर भूगोल विभाग 1950 में स्थापित हुआ । सिंताशु मुखर्जी ने यहाँ पर भूगोल के विकास में विशेष मदद की । यहां पर भूगोल के अध्ययन व अध्यापन की सुविधाओं ने विद्यार्थियों को अधिक संख्या में आकर्षित किया, तथा महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश के भूगोल विभागों को अनेक प्रतिभाएँ प्रदान कीं ।
यहाँ पर भूगोल की लगभग सभी शाखाओं पर शोध कार्य की सुविधा है । व्यवहारिक भूगोल, मेलों का भूगोल, धार्मिक भूगोल, चुनावों का भूगोल, चिकित्सा एवं, पोषण का भूगोल आदि का भी यहाँ प्रमुख शाखाओं के साथ विकास किया गया ।
सितांशु मुखर्जी ने नगरीय भूगोल, भौगोलिक चिन्तन का इतिहास एवं राजनीतिक भूगोल पर विशेष रूचि ली । 1968 में अन्तर्राष्ट्रीय भूगोल कांग्रेस (IGU) के अर्न्तगत राजनीतिक भूगोल के आयोग की संगोष्ठी का नागपुर में आयोजन किया । 1977 में यहाँ पर भौगोलिक चिन्तन के इतिहास पर अखिल भारतीय संगोष्ठी का आयोजन किया ।
3. जवलपुर विश्वविद्यालय (Jabalpur University):
यहाँ का महाकौशल महाविद्यालय 1965 में भूगोल की स्नातकोत्तर शिक्षा का केन्द्र बना बाद में एस॰एन॰ मेहरोत्रा ने यहाँ पर भूगोल का विकास किया और जल विज्ञान को अपना विशिष्ठ अध्ययन क्षेत्र चुना । एक भौगोलिक पत्रिका के प्रकाशन का श्रेय भी इस विभाग को जाता है ।
4. सागर विश्वविद्यालय (Sagar University):
स्नातकोत्तर भूगोल विभाग की स्थापना 1957 में जी॰आर॰ गायरे की अध्यक्षता में की गई व इस विभाग का नाम Department of Anthropogeography रखा गया । बाद में इसका नाम बदलकर Department of General and Applied Geography कर दिया गया ।
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इस विभाग में भूगोल का विकास सैयद मुजफ्फर अली के नेतृत्व में हुआ, जिन्होंने 1939 में लन्दन विश्वविद्यालय से घाघर मैदान की जनसंख्या एवं अधिवास ‘Geographer Study of Ghaghara Plain’ विषय पर भूगोल में शोध उपाधि प्राप्त की । उनकी प्रख्यात शोध परियोजना ‘Geography of Puranas’ रही, जिसने उनको विशेष ख्याति दिलाई, जो 1966 में प्रकाशित हुई थी ।
प्राचीन भारतीय भूगोल में यह उत्कृष्ठ योगदान है । इसके पहले उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हुई । एक Cartographic Representation of Rural Population 1954-55 में तथा दूसरी Planning of Geographical Research in India, 1957 में प्रकाशित हुई । उन्होंने व्यवहारिक एवं संसाधन भूगोल, अधिवास भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, भू-आकृत्ति विज्ञान, मानचित्र कला, भौगोलिक चिन्तन, उच्च सर्वेक्षण तकनीक, वायु फोटो मानचित्रों पर अध्ययनों को बढ़ावा दिया उन्होंने अनेक संगोष्ठियों में भाग लेकर भूगोल के विभिन्न पक्षों को रखा ।
भारतीय मरूस्थल के नगरों, अरब भूगोल पर अपने विचार व्यक्त किए । 1961 में वर्तमान इण्डियन नेशनल एकेडमी संस्थान द्वारा आयोजित संगोष्ठी में (Geography in Ancient India) नामक शोध पत्र प्रस्तुत किया । इसके अलावा विभिन्न विषयों जैसे थार मरूस्थल का मानव भूगोल, राष्ट्रीय नियोजन में नदी घटी परियोजना की भूमिका एवं भूगोल का योगदान, भारत में भू-आकृत्तिक मानचित्रण, पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए ।
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देश में प्रथम बार एम॰ए॰ के पाठ्यक्रम में वायु फोटोमापन (Photogrammetry) विषय को शामिल कराया । शोध कार्यों की दृष्टि से नगरीय भूगोल, आर्थिक भूगोल ऐतिहासिक भूगोल, भौतिक भूगोल एवं अरब भूगोल को बढ़ावा दिया । उनके बाद वी॰सी॰ मिश्रा ने यहाँ का क्रार्यभार संभाला व प्रादेशिक नियोजन, जनसंख्या भूगोल, शोध विधि, औद्योगिक भूगोल, प्रादेशिक भूगोल व व्यवहारिक भूगोल को बढ़ावा दिया ।
इस विभाग के एन॰पी॰ अय्यर ने ऊपरी दामोदर बेसिन के कृषि भूगोल पर अपना शोध कार्य किया था । इन्होंने ही फोटो मापन के अध्ययन को आगे बढ़ाया । इस विभाग में आर॰एस॰ दुबे के प्रयासों से जनसंख्या शोध केन्द्र की स्थापना भी की गई ।
5. विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (Vikram University, Ujjain):
इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध दो कालेजों में भूगोल की स्नातकोत्तर कंक्षाए प्रारम्भ हुई । ग्वालियर का महारानी लक्ष्मीबाई महाविद्यालय व भोपाल का हामीदिया कालेज, भूगोल की स्नातकोतर शिक्षा के सबसे पहले केन्द्र बने । बाद में उज्जैन में इस विषय की शिक्षा प्रारम्भ हुई । ग्वालियर में सीताराम बागला ने मुम्बई नगर का भौगोलिक अध्ययन किया था । जबकि भोपाल के के॰ एन॰ वर्मा ने जबलपुर के नगरीय भूगोल का अध्ययन प्रस्तुत किया ।
उज्जैन में मिश्रा ने सामाजिक भूगोल का विकास किया, और हिमाचल प्रदेश को अपना अध्ययन क्षेत्र चुना । उन्होंने मथुरा जिला का सामाजिक, ऐतिहासिक भूगोल, मालवा पठार, विंध्यप्रदेश, थार मरूस्थल का विस्तार को भी अपने अध्ययन क्षेत्रों में शामिल किया व राजनीतिक भूगोल, पर्यावरण भूगोल, प्रादेशिक भूगोल एवं भौतिक भूगोल से सम्बन्धित अनेक शोध पत्र प्रकाशित कराए । अन्य प्रमुख केन्द्रों में रायपुर विश्वविद्यालय शामिल है । यहाँ पर कृषि भूगोल एवं भूमि उपयोग पर अनेक अध्ययन किए गए है ।