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Read this article in Hindi to learn about the solar system.
हमारे सौरमण्डल में नौ ग्रह ज्ञात हैं जिनमें प्रत्येक अपने निश्चित पथ पर सूर्य की परिक्रमा करता है जिसे उसकी कक्षा कहते हैं । किसी ग्रह द्वारा सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा पूरी करने में लगे समय को उस ग्रह का परिक्रमण काल (Orbital Period) कहते हैं । प्रत्येक ग्रह का सूर्य के परित: परिक्रमण काल भिन्न-भिन्न होता है ।
चित्र में सूर्य से बढ़ती हुई दूरी के क्रम में नौ ग्रह- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरुण (यूरेनस), वरुण (नेप्च्युन), तथा यम (प्लूटो) दर्शाए गए हैं । इस प्रकार सौरमण्डल में बुध ग्रह सूर्य के सबसे नजदीक तथा यम (प्लूटो) ग्रह सूर्य से सबसे दूर स्थित है । अपनी-अपनी कक्षाओं में विभित्र ग्रहों की गति उन पर सूर्य के गुरूत्वाकर्षण बल के कारण है ।
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1. बुध (Mercury):
बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट का ग्रह है । अत: यह अधिकांश समय सूर्य की दमक में छिपा रहता है । तथापि समय-समय पर इसे सूर्योदय से कुछ पहले अथवा सूर्यास्त के तुरंत बाद क्षितिज के पास देखा जा सकता है । यह पृथ्वी से काफी छोटा ग्रह है । इसका आकार लगभग चन्द्रमा के समान होता है । इस ग्रह पर वायु नहीं है इस कारण इस पर जीवन सम्भव नहीं है ।
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2. शुक्र (Venus):
यह ग्रह बुध तथा पृथ्वी के बीच में स्थित है । इसका वायुमण्डल घने बादलों से घिरा है जो कि इस पर आपतित सूर्य के प्रकाश का लगभग तीन चौथाई (75%) भाग परावर्तित कर देता है । अत: यह रात के समय में समस्त आकाशीय पिण्डों में सबसे ज्यादा चमकीला दिखाई देता है । इसका आकार लगभग पृथ्वी के आकार के समान है परन्तु द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 4/5 भाग होता है । इसका कोई भी उपग्रह नहीं पहचाना गया है ।
3. पृथ्वी (Earth):
पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जिस पर ऑक्सीजन, पानी तथा अनुकूल तापमान है । इस कारण पृथ्वी पर जीवन संभव है । सूर्य से दूरी के क्रम में पृथ्वी तीसरा ग्रह है । पृथ्वी का केवल एक प्राकृतिक उपग्रह (चन्द्रमा) है । पृथ्वी एक काल्पनिक अक्ष के सापेक्ष घूर्णन करती है जो कि इसके उत्तर तथा दक्षिणी ध्रुवों से गुजरता है ।
पृथ्वी का यह घूर्णन अक्ष इसकी कक्षा के तल से थोड़ा झुक हुआ है । पृथ्वी अपने अक्ष पर एक सम्पूर्ण चक्कर (घूर्णन) के लिए लगभग 24 घण्टे का समय लेती है । पृथ्वी पर दिन और रात इसकी घूर्णन गति के कारण होते हैं ।
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पृथ्वी अपनी अक्ष पर घूर्णन के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा भी कर रही है । पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा लगभग एक वर्ष अर्थात् 365 दिन में पूरा करती है परन्तु वास्तव में पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा लगभग 365.25 दिन में पूरा करती है । इन दोनों मानों का अन्तर लगभग 0.25 दिन अर्थात् 6 घंटे होता है ।
चार वर्षों में यह अन्तर (4 x 6 =) चौबीस घंटे अर्थात् एक दिन हो जाता है । अत: प्रत्येक चौथा वर्ष 366 दिन का मान्य किया गया है । इस चौथे वर्ष को लोंद वर्ष (Leap year) कहते हैं । पृथ्वी पर मौसम का परिवर्तन पृथ्वी की घूर्णन अक्ष में झुकाव तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है ।
चित्र 1.7 में पृथ्वी की कक्षा में इसकी 4 स्थितियाँ दर्शाई गई हैं । पृथ्वी के घूर्णन अक्ष का झुकाव सदैव एक ही दिशा में बना रहता है । जिससे पृथ्वी के उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध की सूर्य के सापेक्ष स्थितियाँ बदलती रहती हैं ।
जब उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका होता है (जैसा 21 जून को होता है) तो हम ग्रीष्म ऋतु का अनुभव करते हैं जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती है । इसके विपरीत 22 दिसम्बर से दक्षिणी गोलार्द्ध सूर्य की ओर होता है जिससे वहाँ ग्रीष्म ऋतु तथा उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती है । इन दोनों ऋतुओं के बीच में हेमन्त तथा बसन्त ऋतु का आगमन होता है ।
इस प्रकार 21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लम्बा दिन तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन होता है । इसके विपरीत 22 दिसम्बर को दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे लम्बा दिन तथा उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन होता है । 23 सितम्बर व 21 मार्च को सम्पूर्ण पृथ्वी पर दिन व रात बराबर होते हैं ।
4. मंगल (Mars):
इसे पृथ्वी से देखा जा सकता है । इसकी त्रिज्या, पृथ्वी की त्रिज्या के आधे से कुछ अधिक होती है तथा इसका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 1/9 भाग होता है । यह पृथ्वी से लाल रंग का दिखता है । अत: इसे लाल ग्रह भी कहते हैं । इस पर वायुमण्डल की सतह बहुत पतली होने के कारण खगोलशास्त्री दूरदर्शी की सहायता से मंगल की सतह को आसानी से देख सकते हैं ।
इस सतह पर होने वाले कुछ परिवर्तनों से यह अनुमान लगाया गया है कि इस पर पानी हो सकता है । परन्तु अभी तक इस ग्रह पर पानी या जीवन की पुष्टि नहीं हो सकी है । इसके दो प्राकृतिक उपग्रह हैं: फोबोस तथा डीबोस ।
5. बृहस्पति (Jupiter):
यह सभी ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है । इसका द्रव्यमान शेष सभी ग्रहों के सम्मिलित द्रव्यमान से भी अधिक है । शुक्र तथा कभी-कभी मंगल के अतिरिक्त यह सभी ग्रहों से चमकीला दिखाई देता है ।
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यद्यपि यह पृथ्वी तथा मंगल ग्रह की तुलना में बहुत कम सूर्य का प्रकाश प्राप्त करता है परन्तु फिर भी यह अधिक चमकीला दिखाई देता है क्योंकि इसके वायुमण्डल की घनी परत अधिकांश सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर देती है । सन् 2003 ई॰ तक बृहस्पति के 49 प्राकृतिक उपग्रह ज्ञात थे । गनीमेड बृहस्पति का सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है जिसका अपना चुम्बकीय क्षेत्र है । बृहस्पति के चारों ओर धुँधले से वलय भी दिखाई पड़ते हैं ।
6. शनि (Saturn):
यह ग्रह सूर्य से अत्यधिक दूर स्थित होने के कारण अधिक ठण्डा होता है । द्रव्यमान, आकार तथा बनावट में यह बृहस्पति ग्रह के लगभग समान होता है परन्तु इसकी सूर्य से दूरी बृहस्पति की सूर्य से दूरी की लगभग दो गुनी होती है ।
शनि के चारों ओर तीन वलय हैं जिनके कारण यह अन्य ग्रहों से अलग तथा अतिसुन्दर दिखाई देता है। वर्ष 2007 तक शनि के 60 प्राकृतिक उपग्रह की पहचान हो चुकी है । टाइटन शनि का सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है ।
7. अरुण (Uranus):
दूरदर्शी की सहायता से खोजा गया यह पहला ग्रह है । इसकी खोज सन् 1781 ई॰ में विलियम हर्शल ने की थी । किन्तु इसके पूर्व भी अनेक खगोलशास्त्रियों ने इस ग्रह को आकाश में देखा था । लेकिन वे इसे ग्रह न समझकर तारा समझ बैठे । यह दूरदर्शी से देखने पर एक चकती के समान प्रतीत होता है । अभी तक इसके 21 प्राकृतिक उपग्रहों की खोज हो चुकी है ।
8. वरुण (Neptune):
यह सूर्य का आठवाँ ग्रह है । इस ग्रह के आठ प्राकृतिक उपग्रह हैं जिनमें से एक ट्राइटॉन उपग्रह सौरमण्डल में सबसे बड़े उपग्रहों में से एक है ।
9. यम (Pluto):
इसकी खोज 1930 ई॰ में वैशानिक टी॰डबल्यू॰ टॉमबाऊ ने की थी । यह सूर्य से सबसे दूर स्थित है । इसकी सूर्य से दूरी इतनी अधिक है कि सूर्य के प्रकाश को इस तक पहुंचने में लगभग 32 घंटे लगते हैं । इसका आकार अत्यधिक छोटा है तथा इसका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का पाँच सौ वाँ भाग है ।
सौर परिवार में कुछ अन्य खगोलीय पिण्ड भी है । आकाश में इनकी गति भी सूर्य के गुरूत्वाकर्षण बल के कारण ही है । अत: इन्हें भी सौर परिवार का सदस्य माना जाता है ।