ADVERTISEMENTS:
Here is an essay on ‘Disasters’ for class 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Disasters’ especially written for school and college students in Hindi language.
Essay # 1. आपदाएँ का अर्थ (Meaning of Disasters):
हम अक्सर समाचार-पत्र, टी.वी. चैनल पर भूकंप, बाढ़, अग्नि आदि से जान-माल की क्षति के समाचार पढ़ते व सुनते हैं । अचानक होने वाली ये घटनाएँ आपदा कहलाती हैं अर्थात् आपदा का अर्थ है: विपत्ति । मानव ने पर्यावरण में आज इतना अधिक परिवर्तन कर दिया है जिससे ये समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं और सम्पूर्ण पर्यावरण प्रभावित हो रहा है।
ADVERTISEMENTS:
आपदा के प्रकार:
आपदा को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:
1. प्राकृतिक आपदा
2. मानव निर्मित आपदा
ADVERTISEMENTS:
1. प्राकृतिक आपदा:
भूकंप, बाढ़, चक्रवात, हिमस्खलन, सूखा आदि प्राकृतिक आपदाएँ हैं, जिनकी उत्पत्ति प्राकृतिक कारकों के कारण होती है ।
2. मानव निर्मित आपदा:
ADVERTISEMENTS:
औद्योगिक दुर्घटना, अग्निकांड, रेडियोधर्मी विकिरण, युद्ध आदि मानव निर्मित आपदाएँ हैं । मानव प्राकृतिक आपदाओं को रोक तो नहीं सकता किन्तु आपदा प्रबंधन द्वारा इनसे होने वाली जनधन की हानि को कम कर सकता है । आपदा की रोकथाम तथा प्रभाव कम करने का प्रयास, आपदा से निपटने की तैयारी, बचाव, राहत व पुनर्वास के नियोजित उपायों को आपदा प्रबंधन कहते हैं ।
Essay # 2. आपदा के प्रभाव (Effect of Disasters):
1. आपदाएँ, प्राकृतिक संसाधनों, मानव और संपत्ति का विनाश करती हैं जिससे सामाजिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाती है ।
2. आपदाएँ उस क्षेत्र की बहुत बड़ी जनसंख्या को प्रभावित करती हैं ।
3. ये पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती हैं इनसे भूमिगत जल, नदियों, समुद्रों का जल प्रदूषित हो जाता है । वायुमण्डल में धूल और ऊष्मा बढ़ जाती है ।
Essay # 3. कुछ प्राकृतिक आपदाएँ (Types of Natural Disasters):
1. भूकंप (Earthquake):
भूकंप की उत्पत्ति पृथ्वी के आंतरिक भाग में असंतुलन से होती है । पृथ्वी के आंतरिक भाग की तापीय दशाओं में परिवर्तन से भूपृष्ठ के अकस्मात कंपन को भूकंप कहते हैं । भूकंप से उत्पन्न तरंगों का घातक प्रभाव हजारों वर्ग किलोमीटर तक होता है ।
ADVERTISEMENTS:
भूकंप का प्रभाव:
1. सघन आबादी वाले क्षेत्रों में भूकंप के झटकों के कारण भवनों के गिरने से भारी संख्या में लोगों की मृत्यु हो जाती है ।
2. भूकंप से इमारतों, रेलमार्ग, सड़क, पुल, बाँध, कारखानों आदि को बहुत नुकसान होता है ।
3. भूकंप से भू-धरातल में परिवर्तन हो जाता है, बाँधों में दरार आ जाती है एवं नदियों में बहुत अधिक मात्रा में जल पहुंचने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है ।
2. सुनामी (Tsunami):
समुद्री जल से गुजरने वाली तरंगें उच्च सागरीय तरंगों को जन्म देती हैं जिन्हें सुनामी लहरें कहते हैं । ये समुद्र के अंदर आने वाले भूकंप के कारण पैदा होती हैं । कुछ वर्ष पूर्व इन्हीं सुनामी लहरों के कारण समुद्र तट वाले क्षेत्रों में जन-धन की अपार हानि हुई थी ।
सुरक्षात्मक उपाय:
i. भूकंप आने पर तत्काल खुले मैदान में आ जाना चाहिए तथा घर में फँसने पर घर के किसी कोने पर या दरवाजे की चौखट के नीचे रुक जाना चाहिए ।
ii. नदी, तालाब, कुएँ के पास खड़े नहीं होना चाहिए ।
iii. भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों में भूकंपरोधी मकानों का निर्माण किया जाना चाहिए ।
iv. भूकंप के कारण फँसे लोगों को तुरन्त निकालने एवं उनके उपचार तथा राहत सामग्री की व्यवस्था की जाना चाहिए ।
3. बाढ़ (Flood):
अत्यधिक वर्षा के कारण जब नदी, तालाबों आदि का जल अपनी सीमा को तोड़कर विस्तृत भू: भाग को जलमग्न कर देता है उसे बाढ़ कहते हैं ।
बाढ़ आने के निम्न कारण हैं:
i. नदियों में बाढ़ का कारण अति जलवृष्टि के साथ-साथ नदियों के घुमावदार मार्ग ।
ii. भूस्खलन से नदियों के स्वाभाविक मार्ग में बाधा ।
iii. बाँधों के टूटने तथा नदियों के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में व्यापक स्तर पर वन कटाई आदि भी है ।
प्रभाव:
i. नदी, तालाबों के पास सघन जनसंख्या होने से बाढ़ आने पर जन-धन की हानि अधिक होती है ।
ii. बाढ़ से सड़कों, रेलमार्गों, बाँधों को नुकसान पहुँचता है ।
iii. फसलों एवं जानवरों को भी बाढ़ से हानि होती है ।
iv. बाढ़ के कारण पानी में कई अपशिष्ट पदार्थों के मिल जाने से नदी, तालाबों का जल प्रदूषित हो जाता है जिससे कई रोगों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है ।
सुरक्षात्मक उपाय:
बाढ़ से बचाव हेतु उचित प्रबंध होना चाहिए ।
i. बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के मकान ऊँचे स्थानों पर बनाए जाना चाहिए ।
ii. नदी के किनारे व आसपास अधिक वृक्षारोपण किया जाना चाहिए जिससे बाढ़ की तीव्रता कम की जा सके ।
iii. बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में पेयजल की व्यवस्था, महामारियों से बचाव हेतु सफाई, भोज्य पदार्थ व दवाओं की आपूर्ति की जाना चाहिए ।
4. चक्रवात (Cyclone):
वायुमण्डलीय दशाओं में अचानक परिवर्तन से चक्रवात उत्पन्न होते हैं । इसमें चलने वाली प्रचंड हवाओं तथा भारी वर्षा के कारण जन-धन की अत्यधिक हानि होती है ।
प्रभाव:
i. चक्रवात से मानव, पशु-पक्षी, वृक्ष, बंदरगाह, जहाज, सड़क, रेलमार्ग तथा फसलों को बहुत नुकसान होता है ।
ii. विद्युत एवं दूरसंचार प्रणाली ध्वस्त हो जाती है ।
iii. चक्रवात में चलने वाली हवाओं से विषाणु संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है और कई रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है ।
सुरक्षात्मक उपाय:
i. उपग्रह सूचना व संचार प्रणाली के द्वारा चक्रवात की उत्पत्ति तथा उसके आगे बढ़ने की गति व दशा की सूचना देना तथा लोगों को समुद्र तट पर न जाने की सलाह दी जानी चाहिए ।
ii. तूफान में फँसे लोगों को सुरक्षित निकालकर पुनर्वास केन्द्रों में पहुँचाना तथा भोजन, वस्त्र, दवाइयाँ आदि राहत सामग्री पहुँचाई जाना चाहिए ।
iii. चक्रवात के पश्चात् पेड़ों के गिरने से अवरुद्ध मार्गों को खोलना, मृत जानवरों को हटाना तथा संचार व विद्युत प्रणाली को ठीक कराना चाहिए ।
5. भूस्खलन (Landslide):
पर्वतीय क्षेत्रों में गुरुत्व एवं नमी के कारण भूखंड या विशाल चट्टानों के टूटकर गिरने या घाटी की ओर खिसकने को भूस्खलन कहते हैं । जिन पर्वतीय भागों में आबादी है वहाँ भूस्खलन से अधिक नुकसान होता है । अनेक बार भूस्खलन से पूरी की पूरी बस्ती तबाह हो जाती है । भारत में हिमालय क्षेत्र में भूस्खलन की घटनाएँ अधिक होती हैं । पर्वतीय क्षेत्रों में खनन के लिए किए जाने वाले विस्फोटों तथा वनों के विनाश से भूस्खलन की आशंका बढ़ जाती है ।
सुरक्षात्मक उपाय:
i. पर्वतीय क्षेत्रों में वनों की कटाई, बड़े निर्माण कार्य, खनन, कृषि इत्यादि गतिविधियों को सीमित करके भूस्खलन की घटनाओं को कम किया जा सकता है ।
ii. पर्वतीय ढलानों पर वनस्पति लगाने से मृदा एवं चट्टानों का स्थिरिकरण किया जा सकता है ।