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Read this article in Hindi to learn about the biotic and abiotic components of an ecosystem.
पारिस्थितिकी तन्त्र की संरचना में जैविक और अजैविक पर्यावरण के घटकों को सम्मिलित किया जाता है । भौतिक पर्यावरण और उसमें रहने वाले जीव ही पारिस्थितिकी तन्त्र का निर्माण करते है ।
अत: प्रत्येक पारिस्थितिकीय तन्त्र दो प्रमुख घटकों में विभाजित किया जाता है:
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(1) जैवीय घटक (Biotic Components)
(2) अजैवीय घटक (Abiotic Components)
(1) जैवीय घटक (Biotic Components):
सभी जीवों को अपनी वृद्धि व पुन: वृद्धि के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है । यह ऊर्जा उनको अपने भोजन से प्राप्त होती है ।
उनकी भोजन आदतों (Feeding Habits) के आधार पर उन्हें तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:
(i) उत्पादक
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(ii) उपभोक्ता
(iii) अपघटक ।
(i) उत्पादक (Producer):
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हरे पौधे पारिस्थितिकी तन्त्र के उत्पादक हैं । यह पौधे क्लोरोप्लास्ट द्वारा और ऊर्जा को ग्रहण कर सरल अकार्बनिक पदार्थों जैसे जल तथा कार्बन डाइआक्साइड द्वारा अधिक ऊर्जा युक्त कार्बनिक पदार्थ के रूप में अपना भोजन बनाते हैं । सूर्य ऊर्जा के प्रकाश से संश्लेषण द्वारा भोजन के रूप में रासायनिक ऊर्जा बदलते है ।
सभी प्रकार की घास, वृक्ष, शैवाल (Blue Green Algae) व कुछ बैक्टीरिया इस वर्ग में शामिल हैं । वास्तव में यह सभी अपनी वृद्धि के लिए स्वयं भोजन की उत्पत्ति करते हैं, इसी से इन्हें उत्पादक कहा जाता है । इनको स्वयंपोषी जीव भी कहते हैं ।
(ii) उपभोक्ता (Consumers):
ये भोजन के लिए उत्पादकों पर निर्भर करते है । इसके अन्तर्गत सभी जन्तु आते हैं । यह पौधों द्वारा बनाये गये भोजन पर निर्भर रहते हैं । इसलिए इन्हें उपभोक्ता कहते है । कार्बोहाइहेट, प्रोटीन, विटामिन तथा खनिज तत्व हमारे भोजन के अवयव हैं, जो अनाज, फल, साग-सब्जी तथा विभिन्न पौधों से प्राप्त होते है, यह सभी उत्पादक घटक पर निर्भर करते हैं ।
यह वास्तव में परपोषी जीव हैं, इनको निम्न तीन वर्गों में रखा जाता है:
(a) प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumer):
इनको शाकाहारी (Herbivores) प्राणी भी कहते है, यह वनस्पतियों पर अपने भोजन के लिए निर्भर करते है । इनमें गाय, बकरी, हिरन, खरगोश, गिलहरी, बन्दर इत्यादि को शामिल करते है । यह प्राथमिक चरण के उपभोक्ता (Consumer of the First Order) है, क्योंकि यह सीधे ही उत्पादकों पर निर्भर करते हैं ।
(b) द्वितीयक उपभोक्ता (Secondary Consumer):
इनको माँसाहारी (Carnivores) प्राणी भी कहते है यह अपनी ऊर्जा शाकाहारी जन्तुओं से प्राप्त करते है । इनको दूसरे चरण के उपभोक्ता भी कहते है । सांप, लोमड़ी, बिल्ली, भेड़िए, शेर इसी वर्ग के अन्तर्गत आते हैं ।
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(c) तृतीयक उपभोक्ता (Tertiary Consumer):
इसमें वे उपभोक्ता आते हैं जो प्राथमिक व द्वितीयक श्रेणी के उपभोक्ता को अपना भोजन बनाते है, जैसे मानव, भालू । मानव तो ऐसा प्राणी है, जो सीधे उत्पादकों पर निर्भर करता है, तथा उसमें कुछ वर्ग द्वितीयक व प्राथमिक उपभोक्ताओं को अपना भोजन बनाता है । इसीलिए उसे शाकाहारी व माँसाहारी प्राणी (Omnivores) माना गया है । इसको तृतीयक उपभोक्ता (Tertiary Consumer) भी कहते हैं ।
(iii) अपघटक (Decomposer):
प्राथमिक एवं द्वितीयक उत्पादक जीवों के मरने पर मृत शरीर अनेक प्रकार के बड़े जीवाणु, कवक इत्यादि द्वारा अपघटित (Decompose) होते है, जिससे मृत कार्बनिक पदार्थ पुन: सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल जाता है और इस प्रक्रम में जीवाणु ऊर्जा प्राप्त करते है । अपघटन करने वाले जीवों को अपघटक (Decomposer) अथवा (Reducer) कहते हैं । अपघटकों को स्कैवेन्वर्स (Scavengers) के नाम से पुकारा जाता है ।
कैंचुँआ (Earthworm) कवक (Fungi) बैक्टिरिया आदि अपघटक हैं, जो वनस्पति एवं जीव जगत् के अवशिष्ट व मृत शरीर पर जीवित रहते हैं व उसे जैविक अवशिष्ट को पुन: अजैविक पदार्थ जैसे मृदा में बदल देते हैं । इस प्रकार जैविक पदार्थ परिस्थितिकी संतुलन बनाये रखने की अत्यन्त महत्वपूर्ण कड़ी हैं ।
वास्तव में अपघटक जैविक पदार्थों को अजैविक खनिजीय तत्वों में बदल देते है, जो मृदा को पोषक तत्व (Nutrients) प्रदान करते हैं, जिससे उनकी उत्पादक शक्ति में वृद्धि होती है और पौधों व घास की उत्पत्ति में सहायक होते हैं । इस प्रकार अपघटक अपनी इस कार्यशैली द्वारा पारिस्थितिकी तन्त्र के चक्र को पूरा करने में मददगार साबित होते हैं ।
(2) अजैविक घटक (Abiotic Components):
इसके अर्न्तगत वातावरण के निर्जीव तत्व सम्मिलित हैं ।
इन घटकों को निम्नलिखित तीन अपघटकों में विभाजित किया जाता है:
i. अकार्बनिक घटक (Inorganic Components):
इसके अन्तर्गत जल, कैल्शियम, पौटेशियम, लौहा, सलसर आदि लवण निहित हैं । इसके साथ-साथ आक्सीजन (O2), कार्बन डाइआक्साइड (CO2), हाइड्रोजन (H2), नाइट्रोजन व फास्फोरस भी शामिल हैं ।
ii. कार्बनिक घटक (Inorganic Components):
इसके अन्तर्गत कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, जीवांश (Humus) आदि सम्मिलित हैं । यह तत्व पौधे तथा मृतक जन्तुओं से प्राप्त होते हैं ।
iii. भौतिक घटक (Physical Components):
इसके अन्तर्गत वायु, जल आदि सम्मिलित हैं । इसमें सूर्य-ऊर्जा एक अत्यन्त महत्वपूर्ण कारक है ।