ADVERTISEMENTS:
Read this article in Hindi to learn about how to measure atmospheric pressure.
वायुमंडल में अनेक गैसें पाई जाती हैं, ये सभी गैसें अपने भार के कारण पृथ्वी की सतह पर दाब डालती हैं । यह दाब समुद्र की सतह पर सबसे अधिक होता है । जो ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ कम होता जाता है, क्योंकि ऊंचाई पर गैसों का घनत्व कम होता जाता है।
वायुमंडलीय दाब को पास्कल (Pa) तथा किलो पास्कल (kPa) में व्यक्त किया जाता है । 1kPa = 103 Pa.
ADVERTISEMENTS:
सामान्यत: मानक वायुमंडलीय दाब 760 mm पारे के स्तम्भ के दाब के बराबर होता है, जो 1.013 kg/cm2 या 101.3 किलो पास्कल के तुल्य होता है ।
वायुमंडलीय दाब को मापने के लिए जिस उपकरण का उपयोग किया जाता है उसे बैरोमीटर या दाबमापी कहते हैं । इसकी खोज गैलिलियो ने सन 1643 में की थी ।
यह दो प्रकार के होते हैं:
(1) मरक्यूरी या पारद बैरोमीटर ।
ADVERTISEMENTS:
(2) ऐनीरॉयड या शुष्क बैरोमीटर ।
(1) मरक्यूरी बैरोमीटर:
ADVERTISEMENTS:
वायुमंडलीय दाब मापने के लिए यह एक मानक उपकरण है ।
उपकरण का वर्णन:
मरक्यूरी बैरोमीटर का एक भाग मरक्यूरी (पारे) से भरी, एक मीटर लंबी कांच की अंशाकित नली होती है जिसका एक सिरा बंद होता है । कांच की नली में पारा भरने के पश्चात् दूसरे सिरे को अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाता है । उपकरण का दूसरा भाग पारे से भरी कटोरी होती है जिसमें उपरोक्त नली को खड़ा किया जाता है ।
कार्य प्रणाली:
वायुमंडलीय दाब मापते समय पारे से भरी कांच की नली को कटोरी में खड़ा कर देते हैं, जिसमें पारा भरा होता है तथा अस्थायी रूप से बंद सिरा खोल देते हैं । नली में पारे का स्तर स्थिर हो जाने पर पारे के स्तंम की ऊंचाई कटोरी में पारे के तल से नाप लेते हैं । यही उस स्थान का वायुमंडलीय दाब होता है ।
(2) ऐनीरॉयड या शुष्क बैरोमीटर:
इस प्रकार के बैरोमीटर में पारे का उपयोग नहीं किया जाता जिस कारण इसका उपयोग काफी सुविधाजनक होता है ।
उपकरण का वर्णन:
ADVERTISEMENTS:
इसमें धातु का बना एक वायुरहित पात्र होता है जिसके चारों ओर कोई दाब नहीं होता । एक संकेतक स्प्रिग की सहायता से पात्र से जुड़ा रहता है जिसकी सहायता से घूमने वाले डायल पर वायुमंडलीय दाब ज्ञात करते हैं ।
कार्य प्रणाली:
वायुमंडलीय दाब में परिवर्तन होने पर धातु के पात्र का ढक्कन अंदर या बाहर की ओर खुलने लगता है । दाब का यह परिवर्तन संकेतक द्वारा घूमने वाले डायल पर नोट कर लिया जाता है ।
यह बैरोमीटर अधिक शुद्धता से मापन नहीं कर पाता अत: मापन की शुद्धता बनाए रखने के लिए इसका परीक्षण कर मरक्यूरी बैरोमीटर से मिलान किया जाता है । हम जानते हैं वायुमंडलीय दाब हमारे चारों ओर सभी वस्तुओं पर आरोपित होता है तथा दैनिक जीवन संबंधी अनेक क्रियाकलापों पर भी प्रभाव डालता है ।
(i) पहाड़ों पर अथवा अधिक ऊँचाई वाले स्थानों पर दाल गलाने में कठिनाई होती है क्योंकि ऊँचाई पर वायुमंडलीय दाब कम हो जाता है । वायुमंडलीय दाब कम होने के कारण पानी कम ताप पर उबलने लगता है तथा दाल को गलने के लिए आवश्यक ऊष्मा नहीं मिल पाती ।
(ii) अधिक ऊँचाई पर पर्वतारोहियों की नाक से खून निकलने लगता है । ऊँचाई पर वायुमंडलीय दाब कम हो जाता है तथा शरीर के भीतर रक्त का दाब अपेक्षाकृत अधिक होता है जिस कारण रक्त की केशिकाएँ फट जाती हैं और नाक से खून निकलने लगता है ।
(iii) प्रेशर कुकर में दाल, चावल एवं अन्य भोज्य पदार्थ अपेक्षाकृत जल्दी पक जाते हैं क्योंकि कुकर के भीतर दाब अधिक होने के कारण जल का क्वथनांक बढ़ जाता है तथा भोज्य पदार्थ को पकने (गलने) के लिए आवश्यक ऊष्मा जल्दी मिल जाती है ।
हमने जाना कि वायुमंडलीय दाब, वायु में उपस्थित विभिन गैसों द्वारा आरोपित किया जाता है । वायु के ये अवयव हमारे लिए अत्यन्त उपयोगी हैं जिनका हम निरंतर उपयोग करते हैं । इन्हें वायु से विशेष विधियों (प्रभाजी आसवन) द्वारा प्राप्त किया जा सकता है । किन्तु क्या आप जानते हैं कि इन गैसों को प्रयोगशाला में भी बनाया जा सकता है ।