ADVERTISEMENTS:
Read this essay to learn about the geographical conditions of Germany in Hindi language.
जर्मनी यूरोप महाद्वीप का औद्योगिक नथा आर्थिक दृष्टि से विकसित राष्ट्र है । दूसरे विश्व युद्ध के बाद इस प्रदेश का पश्चिम जर्मनी तथा पूर्व जर्मनी में विभाजित हुआ था परंतु ३ अक्तूबर, १९९० में उनका एकीकरण हुआ और जर्मन गणतांत्रिक संघराज्य अस्तित्व में आया ।
स्थिति, विस्तार और सीमा:
ADVERTISEMENTS:
इस देश का अक्षांशीय विस्तार ४७॰ ३१॰ तथा उत्तर से ५४॰ ५०॰ तथा देशांतरीय विस्तार ५॰ ५०॰ पूर्व से १५॰ ५०॰ पूर्व तक है ।
प्राकृतिक संरचना:
इस देश के उत्तरी भाग में नदियों की काँप मिट्टी से बना विस्तृत मैदानी प्रदेश है । उसके दक्षिण में मध्यवर्ती पठारी प्रदेश है और उसके आसपास अनेक पर्वत तथा टीले है । दक्षिण के सीमावर्ती भाग में आल्प्स पर्वत का कुछ भाग आता है । ज्यूगपीटस (२९६३ मी) इस देश का सबसे ऊँचा शिखर है । दक्षिण-पश्चिम दिशा में ब्लैक फोरस्ट पर्वत तथा ज्यूरा की उच्चभूमि है ।
जलवायु:
यह देश समशौतोष्ण कटिबंध में आता है । पश्चिमोत्तर तथा उत्तरी भाग सागर के समीप होने से वहाँ ग्रीष्मकाल सौम्य और शीतकाल गर्म होता है । देश के पूर्व तथा दक्षिण भाग में कड़ाके का शीतकाल होता
ADVERTISEMENTS:
है ।
इस देश में पश्चिमी हवाओं से वर्षभर वर्षा होती है । वर्षा की मात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती जाती है । इसी भांति उत्तरी सागर के तटवर्ती प्रदेशों में औसत वार्षिक वर्षा ४०० मिमी होती है तो दक्षिण में आल्प्स के पर्वतीय प्रदेश में वर्षा की मात्रा १००० मिमी है । पर्वतीय प्रदेशों में कई बार हिमपात होता है ।
प्राकृतिक संसाधन:
ADVERTISEMENTS:
i. जल संसाधन:
रंगीन आकृति ५ को देखो । इस देश में रूर, राइन, वेजर, एल्ब, डैन्यूब आदि मुख्य नदियाँ हैं । इनमें से राइन, वेजर, एल्ब उत्तरवाहिनी नदियाँ हैं । इन नदियों ने उपजाऊ मिट्टी का प्रदेश निर्माण किया है । इन नदियों का उपयोग मुख्य रूप से जल विश्वत निर्मिति तथा जल यातायात के लिए होता है । इन नदियों के उद्गम प्रदेशों में हिमपात होने से इनमें बारहों महीने जल रहता है । ब्लैक फारेस्ट पर्वत में पाए जानेवाले खनिजों का यातायात करने के लिए राइन नदी का विशेष महत्व है ।
ii. वन संसाधन:
देश के उत्तरी भाग में सूचीपर्णी वृक्षों के वन हैं । मध्यभाग में घासवाले प्रदेश हैं तथा कहीं-कहीं पतझड़ के वन हैं । ब्लैक फारेस्ट तथा आल्प्स के पर्वतीय भाग में स्प्रूस, सिल्वर फर आदि सूचिपर्णी वृक्षों के घने वन हैं ।
iii. प्राणी संसाधन:
यहाँ के वन प्रदेशों में हिरनों की अनेक प्रजातियाँ, बनैला वराह, भेड़िया, रीछ, सियार, उदबिलाव आदि प्राणी पाए जाते हैं ।
iv. खनिज संसाधन:
जर्मनी पोटाश और कोयला उत्पादन में अग्रसर है । राइन, रूर तथा देसो-ड्रेसडिन में कोयले के भंडार है । राइन के कछार में पोयश-लौह खनिज के भंडार पाए जाते हैं । देश के उत्तरी भाग में प्राकृतिक गैस के भंडार है ।
व्यवसाय:
ADVERTISEMENTS:
i. कृषि:
उत्तर प्रदेश की उपजाऊ भूमि में मुख्य रूप से गेहूं, शक्कर चुकंदर तथा राई की फसलें और विविध फलों तथा सब्जियों का उत्पादन किया जाता है । कृषि के लिए आधुनिक तकनीकी का उपयोग किया जाता है । दक्षिण-पश्चिम तथा दक्षिण भागों में गेहूं, आलू, जई (ओट) जैसी फसलों का उत्पादन होता है । यह देश आलू उत्पादन में संसार में अग्रसर है । कृषि के पूरक व्यवसाय के रूप में अनेक जगहों पर पशु पालन किया जाता है ।
ii. मत्स्य व्यवसाय:
यह व्यक्साय उत्तरी सागर तथा बाल्टिक सागर में किया जाता है । यहां मुख्य रूप से काड, हेरिंग और हेडफिश मछलियां पाई जाती हैं ।
iii. उद्योग:
इस दंश में उयोगों का विकास बड़े पैमान पर हुआ है । जर्मनी लौह इस्पात निर्मिति, इलेक्ट्रानिक तथा अभियांत्रिकी उद्योगों मै अग्रसर है । यह देश सूक्ष्मदर्शक यंत्र, दूरबीन, कैमरे के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है । आकृति १८.३ में जर्मनी के औद्योगिक क्षेत्र दर्शाए गए हैं, उन्हें देखो ।
रूर तथा राइन नदियों के कछारों में लौह खनिज तथा कोयला खदानों के क्षेत्रों में लौह इस्पात का उदयाग चलता है । इसी भांति इस क्षेत्र में रसायन तथा मोटा निर्मिति के उदयोग भी हैं । म्यूनिख औद्योगिक क्षेत्र में मोटर तथा यंत्र सामग्री बनाने के उद्योग है ।
हैम्बर्ग तथा ब्रेमेन के औदयोगिक क्षेत्र में जहाज बनाने के उदयोग हैं तथा बर्लिन के समीप एयर्सवाल्ड के औदयौगिक क्षेत्र में बिजली के यंत्र और यत्र सामग्री मनाने के कारखाने हैं ।
यातायात तथा संचार माध्यम:
इस देश में सड़कों तथा अनेक रेल मार्गो के जाल फैले हुए हैं । एक ही दिशा में द्रुतगति यातायात के चौहरे मार्ग इस देश में बड़ी संख्या में हैं । इन मार्गो को आटोबांस कहते हैं । इन मार्गो पा बीच में कहीं भी मुड़ना संभव नहीं होता है ।
यहां देशांतर्गत तथा आसपास के राष्ट्रों को जोड़नेवाली ट्रांस एक्स्प्रेस रेलमार्ग सेवा भी उपलब्ध है । मैदानी प्रदेश में रूर, राइन, वेजर, ओडर आदि नदियां नहरों द्वारा जोड़ी गई हैं । इनका देशांतर्गत जल यातायात के लिए उपयोग किया जाता है ।
हैंबर्ग तथा ब्रेमेन यहां के मुख्य बंदरगाह है । डयूसेलडार्फ, बर्लिन, बोन, फ्रैंकफर्ट आदि महानगरों में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं । विमान सेवा प्रदान करनेवाली ड्यूइश लुफ्तांसा इस देश की प्रमुख विमान कंपनी है ।
व्यापार:
जर्मनी औद्योगिक दृष्टि से विकसित राष्ट्र है । इस देश से मोटरों, रसायनों, लौह-इस्पात उत्पादन, कैमरो, दूरबीनों, यंत्रों आदि का निर्यात होता है । इंधन, औद्योगिक कच्चा माल तथा खादयान्न पदार्थो का आयात किया जाता है । इस देश का व्यापार यूरोपीय देशों के साथ बड़े पैमान पर चलता है ।
पर्यटन:
देश के पर्वतीय प्रदेश में अनेक पर्यटन स्थान हैं । इस देश के बर्लिन, फ्रैंकफर्ट, म्यूनिख, हैंबर्ग आदि महानगरों में ऐतिहासिक स्थान देखने को मिलते हैं । राइन नदी का जलप्रपात तथा वहां का नौकायन पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र हैं ।
जनजीवन:
कुल जनसंख्या में से बहुसंख्य लोग जर्मन तथा डैनिश हैं । यहां की मुख्य भाषा जर्मन है । यहां के लोगों के भोजन में आलू, चुकंदर, गाजर, चीज, चिकन से बने पदार्थो का समावेश रहता है । फुटबाल यहां का मुख्य खेल है । साइकिल चलाना, पर्वतारोहण, जिम्नैस्टिक्स जैसे कसरत के खेलों में इन लोगों को रुचि होती है । जर्मन लोग उदयमी, अनुशासनप्रिय, कर्तव्यनिष्ठ तथा विज्ञाननिष्ठ है ।
प्रमुख महानगर:
i. बर्लिन:
यह महानगर स्प्री नदी के तट पर वसा हुआ है तथा देश की राजधानी है । हम्बोल्ट यहां का प्रसिद्ध विश्वविदयालय है । यहां अनेक ऐतिहासिक इमारते हैं ।
ii. हैंबर्ग:
यह महानगर एल्ब नदी के तट पर बसा हुआ है । उत्तर सागर की और जानेवाले जलयानों के लिए यह एक उत्तम बंदरगाह है । यहां का मुख्य उद्योग जहाज निर्माण है ।
iii. म्यूनिख:
जर्मनी कै दक्षिणी भाग का प्रसिद्ध औदयोगिक महानगर है । यह ईजार नदी के तट पर बसा हुआ है तथा हस्तकला उद्योग के लिए प्रसिद्ध है । यहां के राष्ट्रीय ग्रंथालय में लगभग १० लाख से भी अधिक ग्रंथ है ।
iv. फ्रैंकफर्ट:
यह मैन नदी के तट पर बसा हुआ एक ऐतिहासिक तथा ओदयोंगिक महानगर है । यह देशांतर्गत जल यातायात का मुख्य बंदरगाह है । यहां अतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है ।
v. बोन:
इससे पूर्व यह पश्चिम जर्मनी की प्रशासकीय राजधानी थी । यह रेलमार्ग, सड़कों, वायु मार्गो का अंतर्राष्ट्रीय केंद्र है । यह महानगर शैक्षिक तथा सांस्कृतिक केंद्र है । यहां का बोन विश्वविदयालय प्रसिद्ध है ।
पर्यावरणीय समस्याएं तथा उपाय:
जर्मनी में रूर, राइन, देसो-ड्रेसडेन, म्यूनिख आदि औदयोगिक क्षेत्रों में वायु, जल तथा ध्वनि प्रदूषण की समस्याएं पाई जाती हैं । इसी भांति महानगरों में बड़ी मात्रा में चलनेवाले यातायात के कारण ध्वनि तथा वायु प्रदूषण में वृद्धि हो रही है ।
जर्मनी ने इन समस्याओं पर उपाय खोज निकाल हैं । जीवाश्म इंधन के जलने से उत्पन्न होनेवाली कार्बनडाईआक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड का नियमन किया गया है । घरेलू निरुपयोगी पदार्थो को पुन: उपयोग में लाने में इस देश को अच्छी सफलता प्राप्त हुई है ।