ADVERTISEMENTS:
Read this essay to learn about the continent of Europe and its geographical conditions in Hindi language.
क्षेत्रफल की दृष्टि से यूरोप महाद्वीप संसार के छठवें स्थान पर है । यह महाद्वीप पूर्णतः उत्तरी गोलार्ध में है । प्राचीन काल से यूरोप के राजनैतिक तथा सांस्कृतिक विचार और वैज्ञानिक अनुसंधान आदि का प्रभाव संसार के अन्य देशों पर हुआ है ।
अठारहवीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ प्रथमतः यूरोप में ही हुआ । हिमाच्छादित आल्प्स पर्वत, मनोरम सागर तट, रोमन गिरजाघर, पीसा की मीनार, आयफेल टावर आदि दर्शनीय स्थल पर्यटकों के आकर्षण केंद्र हैं ।
ADVERTISEMENTS:
इस प्रकरण का अध्ययन स्वयं अध्ययन पद्धति से करना है । पाठ में आए हुए प्रश्नों को समझ लेने के बाद छात्रों को पाठ्यपुस्तक में दिए गए मानचित्रों के आधार पर तथा अध्यापकों की सहायता से उनके उत्तर ढूँढने हैं और इस महाद्वीप की जानकारी प्राप्त करनी है ।
स्थिति, विस्तार और सीमा:
इस महाद्वीप का अक्षांशीय विस्तार ३४० उत्तर से ७१० उत्तर अक्षांश तथा देशांतरीय विस्तार ११० पश्चिम से ६६० पूर्व है ।
प्राकृतिक संरचना:
ADVERTISEMENTS:
इस महाद्वीप के मध्यभाग में रूस की उच्चभूमि तथा उसके चारों ओर विस्तृत मैदानी प्रदेश है । उत्तरी भाग में जोलेन पर्वत, पूर्व-उत्तर में काकेशस पर्वत है तथा दक्षिण में कापेथियन, एपेनाइन्स तथा आल्प्स आदि पर्वत श्रेणियाँ हैं । महाद्वीप के दक्षिण-पश्चिम में आइबेरियन प्रायद्वीप है ।
ADVERTISEMENTS:
मृदा संसाधन:
टुंड्रा प्रकार की मृदा स्केंडिनोविया के पर्वतीय प्रदेश, आइसलैंड तथा पूर्वी यूरोप के उत्तरी भाग में पाई जाती है । यह मृदा अम्लधर्मीय होती है तथा इसमें वनस्पतियों के लिए पोषक तत्वों की मात्रा अति अल्प होती है । टुंड्रा प्रदेश में पोडजाल प्रकार की मृदा पाई जाती है ।
ये मृदाएँ सूचिपर्णी वनों के प्रदेशों में हैं तथा अम्लधर्मिय हैं । महाद्वीप के दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम दिशा में कत्थई मृदा पाई जाती पाई जाती है । यह मृदा चौड़े पत्तोंवाले वृक्षों के वनों में बनी हुई है । यह मृदा उपजाऊ होती है क्योंकि इसमें हयूमस की मात्रा आधिक होती है ।
यूरोप के पूर्व तथा पूर्व-उत्तरी प्रदेश में चेर्नोजम तथा चेस्टनट प्रकार की मृदाएँ पाई जाती हैं । अत: ये दोनों मृदाएँ घासवाले प्रदेश में निर्मित होती हैं । अत: ये उपजाऊ होती हैं । कैस्पियन सागर के उत्तर के तटवर्ती प्रदेशों में सोलोनेट्स प्रकार की मृदा है । इस मृदा में क्षारों की मात्रा आधिक होती है । यूरोप के उत्तरी, पूर्व-उत्तरी तथा दक्षिण भागों में पर्वतीय मृदा पाई जाती है । इस मृदा की परत की मोटाई कम होती है ।
पर्यावरणीय समस्याएँ:
यूरोप महाद्वीप में औद्योगिकीकरण, नगरीकरण, यातायात साधनों के बढ़ते उपयोग आदि के कारण विविध पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं ।
(i) वायु प्रदूषण:
कारखानों, और यातायात के स्वचलित साधनों से हानिकारक विषाक्त वायु हवा में छोड़ी जाती है । यूरोप के औद्योगिक क्षेत्रों में यह समस्या महसूस होती है । इस क्षेत्र में आम्लवर्षा की समस्या भी महसूस होती है । उदा… मैंचेस्टर, फैंकफर्ट आदि औद्योगिक क्षेत्र ।
ADVERTISEMENTS:
(ii) जल प्रदूपण:
राइन, डेन्यूब आदि नदियों और नहरों का जल यातायात के लिए उपयोग किया जाता है । इसी भाँति नदियाँ तथा सागरों, में कारखानों के रासायनिक पदार्थ, नगरों के धोवन जल आदि से जल प्रदूषण बढ़ने लगा है ।
(iii) निर्वनीकरण:
कृषि तथा कारखानों के लिए मध्य तथा दक्षिणी प्रोप के वन काटे जा रहे हैं । इससे भूमि का क्षरण, मृदा की अवनति, वन्यजीवों का विनाश जैसी अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।